लेखनी कहानी -05-august -2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 20
आज हिमानी का मूड अच्छा था वो श्रुति के साथ आगे चल रही थी और उन लोगो को हर एक जगह के बारे में तफसील से बताती जा रही थी । जिस अंदाज़ से वो बता रही थी उसे देख कर लग रहा था मानो उसने हर एक जगह के बारे में बढ़ी गहरायी से अध्ययन किया हो।
हंशित बार बार अपनी झुकी नज़रे उस पर डालता और हटा लेता कभी कभी हिमानी भी चोरी चोरी उसकी और देख लेती और हंशित अपनी नज़र बचा लेता।
यार आज तो इसका मूड अच्छा लग रहा है ये तो कल से कुछ ज्यादा ही अलग लग रही है। और आज तो ये इन कपड़ो में एक दम हीरोइन लग रही है लव ने कहा
"तो हमारा लड़का भी तो किसी हीरो से कम थोड़ी लग रहा है " कुश ने कहा
"हंशित कही वो तेरे लिए तो सज कर नही आयी है और तू उसके लिए कही तुम दोनों को वो तो नही हो गया जिसका कोई इलाज नही " जॉन ने कहा
"छोड़ो यार तुम लोगो को तो बस बहाना चाहिए अब जल्दी चलो कही वो हम से आगे ना निकल जाए" हंशित ने कहा
सब लोग तेज तेज चलने लगे तभी हिमानी रुकी और बोली " आप लोग जानते है हम कहा जा रहे है "
"कहा जा रहे है हिमानी " श्रुति ने कहा
एक बहुत ही खूबसूरत जगह जिसका नाम है " वैली ऑफ़ फ्लावर्स " जहाँ खूब सारे फूल लगे है
"वाओ नाम तो बेहद प्यारा है और मेने गूगल पर भी देखा था " हंशित ने कहा
हिमानी थोड़ा चुप हो गयी ।
"कितना समय लगेगा वहा पहुंचने में " श्रुति ने पूछा
"ज्यादा समय नही बस थोड़ी दूर और है " हिमानी ने कहा
बातें करते, मुस्कुराते वो लोग वेली ऑफ़ फ्लावर पहुंच गए ।
"वाओ बेहद खूबसूरत नज़ारा है , यहाँ तो खूब तस्वीरे खींचऊँगा " हंशित ने कहा
सब लोग वहा पहुंच कर बेहद खुश थे पहाड़ो के बीच बनी फूलो की वो घाटी बेहद खूबसूरत थी । हंशित ने खूब सारी तस्वीरे खीची उसने चोरी छिपकर हिमानी की भी तस्वीर उतार ली जब जब वो मुस्कुराती। उसकी मुस्कुराती हुयी तस्वीर बेहद खूबसूरत आ रही थी ।
श्रुति और हिमानी की गहरी दोस्ती हो गयी थी । वो लोग वहा काफी देर रुके उसके बाद उन्होंने वहा के आस पास की सारी जगह घूमी और खूब सारी तस्वीरे ली दोपहर हो चुकी थी उन्होंने एक ढाबा देख कर वही ठहर गए और खाना खाने बैठ गए।
हिमानी भी उनके साथ थी । पहले तो उसने मना किया लेकिन श्रुति ने बहुत कहा खाने का तब उसने खाना खाने की हामी भरी ।
वो सब लोग खाना खा ही रहे थे की हंशित की नज़र एक जगह पड़ी और वो उठ कर जाने लगा ।
"हाँ, भाई किधर " कुश ने पूछा
"तुम लोग खाओ मैं आता हूँ अभी " हंशित ने कहा
ठीक है , ये कह कर सब लोग खाना खाने लगे लेकिन हिमानी की नज़रे हंशित को ही देखती रही तब ही उसने कुछ ऐसा देखा की उसके चेहरे पर एक हसीं आ गयी ।
उसने देखा की हंशित सामने वाले ढाबे के बाहर खड़े कुछ भूखे बच्चों के साथ बैठा खाना खा रहा था । वो बच्चें भूखे थे लेकिन कोई भी उनकी तरफ नही देख रहा था सब अपना अपना खाना खा कर निकल रहे थे और वहा काम करने वाले लोग उन बच्चों को ग्राहकों को परेशान करने की वजह से उन्हें वहा से भगा रहे थे।
हंशित ने जब ये देखा तो वो अपना खाना छोड़ कर उनको खाना खिलाने लग गया उनके चेहरे पर आयी ख़ुशी को उसने कैमरे में कैद कर लिया।
"ये हंशित भी ना हमेशा से यही करता है जहाँ इसने किसी भूखे को देखा नही वही उसके साथ खाना खाने और खिलाने पहुंच जाता है और बाद में उनके चेहरे पर आयी ख़ुशी को अपने कैमरे में कैद कर लेता है बस ऐसा ही है मेरा दोस्त " श्रुति ने कहा
हिमानी के चेहरे पर मुस्कुराहट बरकरार थी अभी। थोड़ो देर बाद हंशित वापस आया और आकर अपना खाना खाने लगा तब ही एक बच्चा भागता हुआ आया और बोला " अंकल अंकल ये फूल आपके लिए मेरी माँ ने दिया है क्यूंकि मैं बहुत देर से भूखा था और मेरी माँ फूल बेच रही थी उसके पास इतने पैसे नही थे की वो मुझे भर पेट खाना खिला सके उन्होंने आपको ये फूल भेज कर धन्यवाद किया है और कहा है की ये फूल वो अपनी बीवी को दे "
ये सुन वहा बैठे सब ही लोग हसने लगे ।
वो लड़का उनकी तरफ देखने लगा और बोला " मेने कुछ गलत कहा जो आप लोग हस रहे है "
"नही बेटा, बस इन अंकल की अभी शादी नही हुयी है इसलिए हॅस रहे है " श्रुति ने कहा
"ओह माफ कीजियेगा, " उस बच्चें ने कहा
"कोई बात नही बेटा ये फूल तुम रख लो मेरी तरफ से "हंशित ने कहा
नही अंकल ये मेरी माँ ने आपको देने के लिए कहा था आप रख लीजिये आप किसी और को दे देना ये कह कर वो बच्चा हंशित के गाल चूम कर भाग गया हंशित उसे रोकता रहा पर वो रुका नही
"कितना प्यारा बच्चा था, कोई नही ये फूल तू अपने पास ही रख क्या पता आज नही तो कल तुझे इसकी ज़रुरत पड़ ही जाए क्या पता तुझे तेरी किस्मत उस अनजान शख्स से मिलवा ही दे जिसे भगवान ने तेरी किस्मत में लिखा है " कुश ने कहा
हंशित ने हिमानी की तरफ देखा तभी हिमानी बोली " अब हम लोगो को चलना चाहिए बहुत देर हो गयी थोड़ी देर में सूरज ढल जाएगा "
"ठीक है यही सही रहेगा " हंशित ने कहा और वो सब चल दिए ।
श्रुति ने लव कुश और जॉन से कहा चलो हम लोग इन दोनों को थोड़ा अकेले छोड़ते है क्या पता हमारी ये कोशिश इन दोनों को नजदीक ले आये क्या पता ये दोनों ही एक दूसरे के लिए बने हो.
"सही कहा तूने श्रुति चलो हम लोग आगे चलते है और इन्हे पीछे पीछे आने दो " लव ने कहा और वो सब चल दिए।
हिमानी और हंशित पीछे पीछे आ रहे थे। हंशित ने हिमानी की तरफ देखा और हिमानी ने हंशित की तरफ वो दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुराये।
वो दोनों एक दूसरे से कुछ कहना चाहते थे परन्तु कह नही पा रहे थे तब ही हंशित कहता है " ये जगह बेहद सुन्दर है और आज का मौसम भी बेहद सुहाना है "
"सही कहा आपने ये जगह वाकई बेहद खूबसूरत है , ये जगह मेरे दिल के बेहद नजदीक है ये रंग बिरंगे फूलो से घिरी घाटी आस पास पहाड़ और ढेर सारा सुकून जब कभी भी उदास होती हूँ यही चली आती हूँ " हिमानी ने कहा
हंशित ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुराया।
तभी हिमानी बोली " आपका बेहद शुक्रिया
"शुक्रिया लेकिन क्यू, मेने ऐसा किया करा " हंशित ने पूछा
"वही जो आपने उन मासूम और भूखे बच्चों को खाना खिला कर कितना पुण्य का काम किया, ना जाने कब से भूखे थे " हिमानी ने कहा
"वो तो मेरा फर्ज़ था , भला उन बच्चों को भूखा देख मैं खुद कैसे खाना खा सकता था " हंशित ने कहा
"काश सब लोग आपकी तरह सोचने लगे तो दुनियां में कोई भी बच्चा भूखा नही सोएगा भगवान ने आपका दिल बेहद नर्म बनाया है " हिमानी ने कहा चलते चलते
"भगवान , हूँ " हंशित ने कहा और एक अजीब सा मुँह बनाया
"क्या हुआ मेने कुछ गलत कहा " हिमानी ने पूछा
"नही बस ऐसे ही आपको बहुत आस्था है शायद भगवान में " हंशित ने कहा
"जी बिलकुल, वही तो है जो हम सब को हर मुसीबत हर परेशानी से निकाल लेते है , वही तो है जिन्होंने हमें तुम्हे और सारी सृष्टि को बनाया है वही तो है हम सब के पालनहार जिनकी हम सुबह शाम अराधना करते है " हिमानी ने कहा
"लेकिन मेरी आस्था नही, मैं नही मानता पहले मानता था लेकिन अब नही मानता जो भगवान किसी बेगुनाह को नही बचा सकता वो भगवान कैसे हो सकता है " हंशित ने कहा
हिमानी कुछ और कहती तभी उसका फ़ोन बजा और उसने उठाया , फ़ोन उसकी माँ का था ।
"हेलो माँ, कैसी हो सब ठीक तो है " हिमानी ने पूछा
"हाँ, बेटा सब ठीक है बस तुम जल्दी घर आ जाओ तुम्हारी होने वाली सास कभी भी आ सकती है तुम्हे घर पर ना देख कर बेवजह गुस्सा होंगी " वैशाली जी ने कहा
माँ आप फ़िक्र मत करो मैं उनके आने से पहले आ जाउंगी। ये कह कर हिमानी ने फ़ोन रख दिया
"क्या हुआ कोई परेशानी है , क्या हम चलेंगे " हंशित ने पूछा
"नही नही बस कुछ मेहमान आने वाले है इसलिए घर थोड़ा जल्दी जाना था अगर आप लोगो को परेशानी ना हो " हिमानी ने पूछा
"नही नही ऐसा नही है , हम लोग भी थक चुके है वैसे भी सूरज ढलने वाला है अब हमें चलना चाहिए कल और कही चलेंगे " हंशित ने कहा
हिमानी ने हलकी मुस्कुराहट के साथ उसका शुक्रिया कहा और दोनों चल दिए ।
सूरज डूबने लगा था वो लोग नीचे उतर रहे थे ।
कविता जी घर आ चुकी थी और हिमानी का पूछ रही थी कि अभी तक घर नही आयी अंधेरा होने को है।
हिमानी जल्दी जल्दी पहाड़ उतर रही थी कि अचानक उसका पैर फिसला नजदीक में उसके हंशित था उसका हाथ उसने पकड़ा किन्तु फिर भी संभली नही और उसे भी अपने साथ लेकर नीचे लुढ़खने लगी वो दोनों पहाड़ी से नीचे गिरने लगे ।
जिसे देख उनके दोस्त घबरा गए । वो दोनों लुढ़खते लुढ़खते एक पेड़ से जा टकराये और वही रुक गए । नीचे बेहद गहरायी थी । हिमानी को डर लग रहा था वो दोनों बीच में अटक गए थे । उनके दोस्त पहाड़ी के ऊपर थे और नीचे खायी ।
हिमानी कि आँखों में आंसू थे वो दोनों उस पेड़ पर बैठ गए ।
"ये सब मेरी वजह से हुआ है ना मैं जल्दी करती ना ये सब होता " हिमानी रोते हुए कहती है
इसमें तुम्हारी कोई गलती नही तुम परेशान मत हो हम यहाँ से निकल जाएंगे मुझ पर भरोसा करो।
"हंशित, हिमानी तुम दोनों ठीक तो हो " उनके दोस्तों ने आवाज़ दी
"हम ठीक है हमें ऊपर खींचने का कोई तरीका ढूंढो नही तो हम लोग खायी में गिर जाएंगे " हंशित ने कहा
"तुम दोनों डरो नही हम सब तुम्हारे साथ है ।" उनके दोस्तों ने कहा
हिमानी का डर के मारे बुरा हाल था वो रो रही थी बस और हंशित उसे हौसला दे रहा था ।
ऊपर खड़े उसके दोस्त यहाँ वहा कोई रस्सी ढूंढ रहे थे । बहुत देर बाद एक गाड़ी आती उन्हें नज़र आयी उन्होंने उसे रोका उसके पास रस्सा था उन्होंने वो रस्सी नीचे फेकी अंधेरा हो चुका था।
घर पर सब उसकी राह देख रहे थे फ़ोन भी स्विच ऑफ़ आ रहा था बैटरी ख़त्म हो गयी थी।
कविता जी कई बार हिमानी का पूछ चुकी थी और वैशाली जी ना जाने कौन कौन से बहाने बना चुकी थी ।
"अब अपनी बेटी पर लगाम कसो वैशाली अब इस तरह उसे आज़ादी मत दो बेवजह कुछ हो गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे " कविता जी ने कहा
"नही नही भाभी ऐसा नही है, वैसे तो सूरज ढलते ही आ जाती है आज ना जाने क्यू देर हो गयी इतनी फ़ोन भी स्विच ऑफ आ रहा है कही किसी मुसीबत में तो नही फस गयी मेरी बच्ची " वैशाली जी ने कहा
आखिर कैसे बचेगी हिमानी और हंशित जानने के लिए पढ़ते rahiy
Renu
06-Aug-2022 11:12 PM
👌👌😇
Reply
Sachin dev
06-Aug-2022 09:10 PM
Very nice 👍
Reply
Seema Priyadarshini sahay
06-Aug-2022 08:58 PM
Nice post 👌
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